माना जाता है की 300 साल पहले जब केरा गांव एक जंगल हुआ करता था तब एक लाला साधु नामक एक ऋषि अष्टभुजी माँ की प्रीतिमा को लेके केरा जंगल के एक झील के सामने जा पहुचे तब उन्हें शौच लगने लगा तो वे माँ के प्रीतिमा को झील के किनारे एक बर्गत पेड के नीचे रख के वो चले गए जब वे साधु दुबारा आके माँ की प्रीतिमा को उठाने की कोसिस करते है तो वे उसे उठाने में असमर्थ होजाते है लाख कोसिस कर के भी वे माँ को उठा नही पाते तत्पष्चात वे हार मान के वहां से मा को नमन कर के वहा से चले जाते है।
Raja ke sapne me Maa Kera

फिर कुछ दिन पश्चात वहां के राजा के सपने में माँ आके बोले कि मेरी प्रीतिमा जो बर्गत वृक्ष के नीचे है उसे तुम स्थापित करो जो मेरे पास अपने कष्ट लेके मेरे सरन में सद्भाव मैन से आएंगे सब के कष्ट का निवारण करूँगी जा पुत्र मेरी प्रीतिमा को स्थापित कर।
फिर राजा सुबह उठ के उस बर्गत के पेड के पास जाके अष्टभुजी माँ के प्रतिमा को उठा के स्थापित कर मंदिर का निर्मण कर दिया तब सामने गांव का नाम “केरा” होने के कारण से माँ को “केरा माँ” के नाम से भी जाना जाता है तब से दूर -दूर के सर्द्धालु केरा माँ के सरन में आते अपने कष्टो को लेके।
Mandir Parishar me Chori ke Ghatna

बीते सालों से केरा गाँव में 300 साल पुरानी माँ अष्टभुजी भगवती मंदिर से माँ की मूर्ति चोरी हो गई। शनिवार रात करीब एक बजे कार से पहुंचे अज्ञात चोर मां की प्राचीन मूर्ति को उठा ले गए। इस घटना से क्षेत्र में दुख और गुस्सा था
इस खबर के पता चलते ही हजारों लोग मंदिर के मैदान में आ गए। वह गुस्से में दिखता है। मंदिर में यह तीसरी घटना थी। चोरों ने मां की मूर्ति चुरा ली। दो मंदिरों के ताले तोड़े गए। मंदिर में अन्य सामान सुरक्षित हैं। एसआईटी की स्थापना जिला एसपी एसपी चंदन झा ने की थी।
चक्रधरपुर डीएसपी सकलदेव राम के नेतृत्व में एक बड़ा पुलिस बल मौके पर पहुंचा। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा भी मंदिर पहुंचे और केरा शाही परिवार के सदस्यों से इस घटना के बारे में जानकारी ली। डॉग स्क्वायड और आईटी विशेषज्ञों की टीम भी जांच कर रही है। लेकिन अब तक चोरों का सुराग नहीं लग पाया है।

छह महीने में दूसरी बार केरा मंदिर में चोरी हुई। इससे पहले भी केरा मंदिर का ताला तोड़कर दान पेटी चोरी हुई थी। उस समय वैसा न तो पुलिस और न ही प्रबंधन समिति ने इस घटना को गंभीरता से लिया। नतीजा यह हुआ कि छह महीने के भीतर मूर्ति चोरी हो गई। यहां से पांच साल पहले मुकुट चुराया गया था
अज्ञात लोग कार से पहुंचे। मंदिर का ताला तोड़कर माता की मूर्ति चुराई गई है। तकनीकी सेल उन मोबाइलों की जांच कर रही है जो घटना के समय यहां इस्तेमाल किए गए थे। एसआईटी का गठन किया गया । पुलिस जल्द ही मामले की तकदिस कर खुलासा कर ली पता चला कि पुजारी ही प्रतिमा चुरा के बेचने की तैयारी में था।