चक्रधरपुर पुराण बस्ती के पुत्र मद्रासुद्र महापात्रा के पुत्र, कृष्णचंद्र महापात्रा की माता, स्व ज्योत्सना देवी की स्मृति में भेलूपानी हरि कीर्तन मंदिर में कार्तिक मास की चतुर्दशी तिथि को भगवान राधा कृष्ण की प्रतिमा स्थापित की गई थी। #ओडिशाकेकेशनागाँवमेभगवानराधाकृष्णकीमूर्तिकानिर्माणहुआ_है ।

Bhalupani Hari Kirtan Temple
भालूपानी गाँव में आने के बाद, सदानंद होटा ने देखा कि हरि कीर्तन मंदिर में भगवान राधा कृष्ण की कोई मूर्ति नहीं थी। कृष्ण चंद्र महापात्र के साथ बात करते हुए यह सुनकर, उन्होंने कहा कि मेरी माँ की इच्छा थी कि माँ स्वयंभू ज्योत्सना देवी की मृत्यु के बाद, मंदिर में भगवान राधा कृष्ण की मूर्ति स्थापित की जाए, जिसमें भगवान राधा कृष्ण की उनकी स्मृति में भालूपानी वासियों के साथ मिलकर प्रतिमा का निर्माण किया जाए। स्थापित किया गया था। गाँव के मुखिया श्याम कुमार प्रधान के निर्देशन में गाँव के युवा भगवान राधा कृष्ण की मूर्ति की स्थापना के लिए मंदिर की भव्य सफाई दिन-रात की गई। महिलाओं का उत्साह देखकर भी सुबह के समय केरा नदी से जल से भरी कलश यात्रा मंदिर पहुंची। जिसके बाद राधा कृष्ण की मूर्ति को विधान विधान मंत्र के होम यज्ञ के साथ स्थापित किया गया था। इसमें मुख्य रूप से हरीश चंद्र प्रधान, नवीन प्रधान, कमलदेव प्रधान, सारंगधर प्रधान, सुमन प्रधान, चिंतामणि प्रधान, सुधांशु प्रधान, शशांक प्रधान, भृगुराम प्रधान, दशरथ प्रधान, श्रीवंत प्रधान, अनंत प्रधान, वनबंत प्रधान, सुब्रत प्रधान, सुब्रत प्रधान शामिल हैं। वेदप्रकाश दास और अन्य की भूमिका महत्वपूर्ण है।
3 km पैदल चल के हरि किर्तन मंदिर पहुचती है

भालूपानी गांव के हरि किर्तन मंदिर में पूजा अर्चना ओर हवन कर भगवन राधा कृष्णा की प्रीतिमाओ को सथापित किया गया। पूजा से पूर्व गांव के सभी महिलाओं ने भालुपानी गांव से 3 km दूर केरा नदी से पवित्र जल कलश में भर के यात्रा निकला जाता है। धूम धाम बजे के साथ यात्रा निकलती है 3 km पैदल चल के हरि किर्तन मंदिर पहुचती है इसके बाद पूजारियो दुआरा पूजा अर्चना किया जाता है। पूजा के बाद मंदिर परिसर में भंडार का आयोजन किया जाता है इसमें सभी भक्तो को खीर खिचड़ी प्रसाद के रूप में दिया जाता है जो बहुत स्वादिष्ठ होता जिसे खा कर सभी भक्त बहुत प्रसन्न होजाते है।